नई सुबह अनुपमा सोलंकी

2018-10-04 0

प्रिया ने देख  चन्नी छत से घबराई हुई सी दौड़कर नीचे आई उसकी सांसे जोर-जोर से चल रहीं थीं और चेहरा लाल हो रहा था---।

‘‘क्या हुआ चन्नी-- घबराई हुई क्यों है ’’?

कुछ  नहीं मम्मी य् वह डरे हुई सी आवाज में बोली --- उसके हाथ में कुछ था जिसे उसने मुठ्ठी  में भींच रखा था ।

मैं मां थी में समझ गई कुछ है जो वो बता नहीं पा रही --- डर रही है बताने से !

फ्चन्नी डर मत बता क्या बात है मैं तो तेरी

दोस्त हूँ न ---- सारी बात मुझसे शेयर करती है न --- डर मत में तुझे सही सलाह दूंगी-- मम्मी बनकर नहीं दोस्त बनकरय् !!

उसने बड़ी आशा भरी नजरों से मुझे देखा

मम्मी ये देखो  उसने बंद मुठ्ठी खोल दी---

वह प्रेम पत्र था येय् यह किसने दिया चन्नीय्?

फ्मम्मी वो समीर के घर कई दिन से कोई मेहमान आये हैं उन्हीं अंकल आंटी का बेटा है येय् !

फ्ये लड़का रोज जब में स्कूल जातीं हूँ मुझे देखता है --- सीटी बजाता है और बस तक पीछा करता है--- आज छत पर गई तो वह बगल वाली छत पर आ गया दो छत फलांग कर --- मुझे देऽकर, और उसने जेब से निकाल कर ये मुझे दे दिया मुझे और धमकाया ---किसी को बताना नहींय् ।

‘‘तुझे अच्छा लगता है वोय् ?

‘‘नहीं मम्मी वो अच्छा लड़का नहीं हैय्

फ्तो फिर तुम चिन्ता मत करो आगे से वह तुम्हें परेशान नहीं करेगाय्।

फ्वो कैसे मम्मी --- क्या करोगे आप’’

‘‘वो सब तुम मुझ पर छोड़ दो चन्नी--- मैं मम्मी हूं तुम्हारी समझीय् !

फ्जी मम्मीय् वह निश्चिंत स्वर में बोली , और मां को गले लगाकर बोली---य् मॉम यू आर द बेस्ट मॉम ऑफ द वर्ल्डय् और वह अपने कमरे में भाग गई --- !

और वे खो  गई अपने अतीत में ।

फ्मां--- मां सुनो य् ?

‘‘क्या है रो क्यों रही है मिनी’’?

‘‘मां वो --- एक लड़का टड्ढूशन में है वह मुझसे गलत बातें बोल रहा था और उसने

मेरा पीछा भी किया कह रहा था मेरी

सायकल पर बैठ जा मैं तुझे घर छोड़

दूंगाय् ।

जरूर तूने ही उसे ऐसा करने का अवसर दिया होगा--- आज से टड्ढूशन जाने की कोई जरूरत नहीं है और ये स्कर्ट और

फ्रॉक पहनना बंद --- मां ने दो थप्पड़ लगा

दिये थे --- लड़के तो छेड़ेंगे ही --- ये छोटे छोटे कपड़े पहनती है कितनी बार कहा कि सलवार कुरता पहना करय् ---

और अगले दिन से उसका टड्ढूशन जाना तो बंद हुआ ही, सहेलियों के यहाँ आना जाना भी बंद करवा दिया गया सलवार कमीज और दुपट्टा बनवा दिये गये, स्कूल यूनीफार्म तो उन दिनों सफेद सलवार स्लेटी कॉलर वाला कुरता और सफेद दुपट्टा ही होती थी --- पापा स्कूल छोड़कर आते और बड़ा भाई वापसी में उसे घर लेकर आता। ... कहीं भी अकेले जाने की इजाजत नहीं थी बाजार जाना है मां साथ जाती। ... मां हमेशा टोका टाकी करती रहतीं बड़ी हो गई तमीज से बैठदुपट्टा ठीक से डाल। ... छाती तान के क्या चल रही है कंधे आगे झुकाकर चल, लड़कियों को दांत फाड़कर नहीं हंसना चाहिये, बाल खोलकर नहीं घूमना चाहिये, तेल लगाकर टाईट चोटी बांधा कर ---छत से इधर उधर नहीं झांकना चाहिये। ... वगैरह। ... वगैरह भाषण दिन रात सुनने को मिलने लगे... ।

समझ ही नहीं आता था कि गलती उस लड़के ने की थी --- और सजा मुझे क्यों

मिल रही थी ।

नहीं मैं चन्नी को उस लड़के के किये की

सजा नहीं सुनाऊंगी आज और अभी समीर के घर जाकर उन्हें ठीक से समझाना होगा --- कि राह चलते लड़कियों के साथ बदसलूकी और छेड़छाड़ --- अपराध है और मेरी बेटी के साथ ये होगा तो मैं बर्दाश्त हरगिज नहीं करूंगी--!

उन्हे लगा जैसे आज फ्नई सुबह’’ हुई है मां

की बेटी पर विश्वास की सुबह ---

और वे उठकर दृढता से समीर के घर की ओर चल दीं ! 



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